shivaji/शिवाजी

              – शिवाजी/shivaji



मराठा शक्ति को चरमोत्कर्ष तक पहुंचने वाले महान सेनानायक शिवाजी है 

शिवाजी का जन्म 1627 में हुआ किंतु कुछ विद्वान उनके जन्म को 1630 में मानते हैं

उनके पिता शाहजी भोसले बीजापुर शासन के अधीन एक प्रमुख सरदार थे

बचपन से ही शिवाजी के जीवन पर माता जीजाबाई तथा शिक्षक दादाजी कोड़देव का बहुत प्रभाव पड़ा उन्होंने शिवाजी को स्वतंत्रता और सदाचार की शिक्षा दी धर्म की रक्षा के लिए स्वराज स्थापना के कार्य को उन्होंने निरंतर प्रोत्साहन दिया समर्थ रामदास शिवाजी के गुरु थे उन्होंने शिवाजी को हिन्दवी राज्य ( हिंदू पद पादशाही) स्थापित करने के लिए प्रेरित किया युवावस्था में ही स्वराज की स्थापना के उद्देश्य को लेकर शिवाजी ने आदिलशाह के अधिकारों में जो किले थे उन्हें जीतने का कार्य आरंभ किया इस कार्य के लिए उन्होंने छापामार गोरिल्ला युद्ध प्रणाली को अपनाया था शिवाजी के कार्य का कुछ आदिलशाही मराठा सरदार में विरोध किया जिसमें जावली के मौरप्रमुख थे उन्होंने शिवाजी के प्रभुत्व को स्वीकार करने से इनकार कर दिया फल स्वरुप शिवाजी ने जवाली पर अधिकार कर लिया वह भारत में हिंदू राज्य की स्थापना करना चाहते थे








कोकण विजय -



यह प्रदेश पश्चिम में समुद्र किनारे पर स्थित है शिवाजी ने इस पर आक्रमण किया और कल्याणी तथा भिवंडी के दुर्ग पर अपना पड़ोसी स्थापित किया.



शिवाजी के मुगलों से संघर्ष -



औरंगजेब शिवाजी की बढ़ती हुई शक्ति से चिंतित हुआ और उनका दमन करने का निश्चय किया उसने शिष्ट खान को दक्षिण का सूबेदार नियुक्त किया सहायता खाने पुराना पर कब्जा कर लिया शिवाजी ने बड़ी चतुराई से शाइस्ता खान को मार दी शिवाजी के आक्रमण से सहायता कहां की है उंगलिया कट गई थी उसे जहां बचाकर भागना पड़ा.




बीजापुर से संघर्ष -



शिवाजी के विजय अभियान से बीजापुर का सुल्तान भयभीत होगा शिवाजी को दरबार में जीवित या अमृत किसी भी रूपों में उपस्थित करने का कार्य सेनापति अफजल खान को सोफा अफजल खान ने शिवजी को पांडियंश से मारने की योजना बनाई किंतु शिवाजी को इस षड़यंत्र का पता चल गया और अपनी रक्षा के लिए उन्होंने अफजल खान का वध कर दिया.



पुरंदर की संधि -



सहायता कहां की असफलता के पश्चात औरंगजेब अपने शिवाजी के दमन करने का कार्य राजा जैसी को सौप तथा दिलेर खान को विशाल सेवा के साथ उसकी सहायता के लिए भेजा मुगल सी ने पुरंदर को घेर लिया अपने प्रदेश को हानियों से बचने के लिए शिवाजी ने राजा विजय से पुरंदर की संधि कर ली उन्होंने अपने 23 के लिए मुगल बादशाह को सौंप दिए जैसी ने शिवजी को आगरा जाने और सम्राट से भेंट करने के लिए राजी कर लिया शिवाजी का आगरा जाने का उद्देश्य औरंगजेब की सट्टा शक्ति और संघर्षों की जानकारी प्राप्त करना शिवाजी अपने पुत्र संभाजी के साथ औरंगजेब के दरबार में उपस्थित हुए हैं दरबार में प्रति अपंजनक व्यवहार से शिवाजी क्रोधित होकर दरबार छोड़कर चले गए औरंगजेब ने इसे अपना अपमान समझा और शिवाजी को बंदी बना लिया तीन में पक्ष शिवाजी बंडीघरा से मिठाई के टोकरी में छिपकर सफलतापूर्वक भाग निकले आगरा से लौट के पश्चात शिवाजी राज्य स्वराज स्थापना कार्यक्रम पुणे लग गए उन्होंने कल्याणी भिवंडी पुरंदर श्रीगढ़ आदि पर अधिकार स्थापित कर ले इस समय शिवाजी का प्रभाव क्षेत्र विस्तृत हो चुका है मैं मुगल क्षेत्र से चौथा और प्रदेश मुखी वसूल करते थे बीजापुर तथा गोलकुंडा होने कर देते थे




शिवाजी ने मराठा राज्य को स्वतंत्र घोषित कर दिया परंतु औरंगजेब उन्हें एक जागीरदार और बीजापुर का सुल्तान उन्हें विद्रोही मानते थे इस विषमता को दूर करने के लिए स्वतंत्र रूप से युद्ध और संधि वार्ता करने का अधिकार प्राप्त करने उद्देश्य शिवाजी ने रायगढ़ में 1674 में अपना राज्याभिषेक करवाया था हिंदवी राज्य स्थापित किया महाराष्ट्र में शिवजी के पक्ष में एक जन आंदोलन उठ खड़ा हुआ महर्षि के प्रत्येक व्यक्ति के मन में देशभक्ति की भावना कोर्ट कोर्ट पर भरी हुई थी




शिवाजी के अन्य विजय -



शिवाजी ने मुगल सेनापति बहादुर खान के शिविर पर आक्रमण किया करोड़ों रुपए के अश्व प्राप्त की है उन्हें गोलकुंडा के सुल्तान से मैत्री संधि कर ली जिसे मुगलों के विरुद्ध एक दूसरे की सहायता का वचन दिया इसके पहचान दक्षिण के प्रदेश कर्नाटक पर आक्रमण किया और जिंजी तथा बेलूर को जीत शिवाजी ने बीजापुर राज्य के समुद्र तट के प्रत्येक प्रदेश को भी अपने अधिकार में कर लिया सन 1680 में शिवजी की मृत्यु हो गई



शिवाजी का शासन प्रबंध -



शिवाजी के शासन प्रबंध का मुख्य उद्देश्य प्रजा की सुख समृद्धि तथा मात्राओं की रक्षा के लिए श्रेष्ठ सेवा का गठन करना था शिवाजी ने उच्च कोटि की प्रशासन क्षमता थी



केंद्रीय शासन -



राज्य की सारी शक्ति शिवाजी के पास केंद्रित थी वह राज्य के सर्वप्रते असीम निर्गुण शक्तियों के होते हुए भी शिवाजी ने उनका उपयोग जनकल्याण कार्यों के लिए किया



अष्टप्रधान -



शिवाजी ने शासन प्रबंध में सहायता परामर्श के लिए 8 मंत्रियों के परिषद बनाए जिससे अष्टप्रदान कहा जाता है प्रत्येक व्यक्ति अपने विभाग का प्रमुख होता था लेकिन शिवाजी की अध्यक्षता में ही कार्य करते थे वह अष्टप्रधान इस प्रकार थे -



1 पेशवा प्रधानमंत्री 

2 अमात्य वितयमंत्री

3 सुमंत विदेश मंत्री

4 मंत्री

5 सचिव

6 पण्डितराव पुरोहित 

7 सेनापति

8 न्यायधीश


 

राज्य का विभाजन -



शान सुधार रूप से चलने के लिए शिवाजी ने राज्य को प्रति और प्रत्येक प्रति जिलों और परगना में बांटा था प्रत्येक क्रांति का प्रमुख प्रांतीय प्रांत पटिया सुविधा होता था



राज्य की आय के साधन - 



राज्य की आय का प्रमुख साधन भूमि कर व्यापारिक कर सरदेशमुखी कर भूमि करके रूप में उपज का तीसरा प्रतिशत और बाद में 40% किया जाने लगा



सैनिक व्यवस्ता -




शिवजी ने नियमित एवं स्थायी सेना की व्यवस्था की थी, उनकी सेना में पैदल अश्वारोही तथा जल सेना थी सेनिको पर कठोर अनुशासन वा नियंत्रण रहता था , आक्रमण के समय कृषि को हानि पहुँचाई जाती थी , स्त्रियों बच्चो वा वृद्धो का अपमान न होने देना ,यह सेनिको का प्रमुख कर्तव्य था ,



शिवाजी नगर वीर सैनिक और कूटने से कितने बल्कि उत्तम शासन भी थे धार्मिक शासन का उच्च कोटि का चरित्र न्याय प्रियता और कुशल प्रशासन के कारण में महान शासक के रूप में प्रसिद्ध हुए…


Post a Comment

0 Comments