शुंग वंश/shung vansh
हेलो दोस्तो आपके सामने एक महत्वपूर्ण लेख लेकर आ रहे है जिसमे हम शुंग काल के बारे में जानकारी हासिल करेंगे । शुंग वंश से संबंधित जानकारी हम आपके लिए इस पोस्ट में लेकर आ रहे है।
शुंग वंश का संस्थापक पुष्पमित्र शुंग था |
शुंग वंश का प्रारंभ 187 ई में माना जाता है।
पुष्पमित्र शुंग ने 195 ई पू मौर्य शाशक बृहद्रथ की हत्या करके शुंग वंश की स्थापना की वाणभट्ट ने हर्षचरित्र में सुमित्रा को अनार्य कहा है पुष्यमित्र कट्टर ब्राह्मणवादी था।
शुंग वंश के इतिहास जानने के स्रोत -
शुंग वंश के इतिहास के बारे में जानकारी साहित्यिक एवं पुरातात्विक दोनों साक्ष से प्राप्त होती है
साहित्यिक स्रोत -
पुराण (मत्स्य,वायु, ब्रह्मांड)
महाभाष्य (पतंजलि)
गार्गी सहिता
मालविका ग्रिमित्रम ( कालिदास)
हर्षचरित्र (वाणभट्ट, थेरावली,)
मरुतुंग (हरिवंश दिव्यादान
अभिलेखीय स्त्रोत्र इस प्रकार है-
धनदेव का अयोन्या अभिलेख
बेसनगर का स्तम्भ
भरहुत लेख
हाथी गुम्फा अभिलेख
पुष्पमित्र शुंग -
पुष्पमित राजवंश के संस्थापक था जिसने 36 वर्ष तक राज्य किया था।
बनभट्ट की रचना हर्षचरित्र से पता चलता है कि
अनार्य पुष्पमित्र ने अंतिम मौर्य शाशक
वृहद्रथ की हटिया कर सिहासन पर अधिकार किया था।
पुष्पमित्र मौर्य वंश के अंतिम शाशक
वृहदथ का सेनापति था ।
दिव्यादान से पता चलता है कि वह पुष्यधर्म का पुत्र था
धनदेव के अयोध्या अभिलेख के अनुसार पुष्पमित्र ने दो अश्वमेध यागो का अनुष्ठान किया था पतंजलि उसके अश्वमेध याग के पुरोहित थे
पतंजलि पुष्पमित्र के राजपुरोहित थे
बोद्ध ग्रंथ के अनुसार पुष्पमित्र बौद्ध धर्म का उत्पीडक था
पुष्पमित्र ने बौद्ध विहारों को नष्ट किया तथा बौद्ध भिछुओ की हटिया की।
भारतीय साहित्य में शुंगों को ब्राह्मण बताया गया है।
पुराण में पुष्पमित्र को शुंग कहते है,
पाणिनि ने शुंग वंश को भारद्वाज गोत्र का बताया है,
कालिदास के ग्रंथ में शुंगों को बेबिक कुल से संबंधित बताया गया है,
बोधायन शोरोत्र शूटर के अनुसार कश्चयप गोत्र के ब्राह्मण थे,
पुष्पमित्र के विजय अभियान -
पुष्यमित्र के शासनकाल में कहीं विदेशी आक्रमण कार्यों के द्वारा भारत पर आक्रमण किए गए |
पुष्यमित्र के राजा बन जाने पर मगध साम्राज्य को बहुत बल मिला ,
जो राज्य मगध की अधीनता त्याग चुके थे पुष्यमित्र ने फिर से अपने अधीन कर लिया था
पुष्यमित्र अपने विजय अभियानों से सीमा का विस्तार किया,
पुष्पमित्र के उताधिकारी -
पुष्यमित्र की मृत्यु के बाद उसका पुत्र अग्निमित्र साम्राज्य का उत्तराधिकारी बना।
अग्निमित्र के बाद पुराणों में
वसुज्येष्ट
वसुमित्र
अंधक
पुलिंदक
घोष
वज्रमित्र
भागभद्र तथा
देवभूति
नामक राजाओ का वर्णन मिलता है
भागभद्र ने भागवत धर्म ग्रहण किया विदिशा में गरुड़ स्तम्भ की स्थापना कर भागवत
विष्णु की पूजा की।
देवभूति इस वंश का अंतिम शाशक था
इसके मंत्री वासुदेव ने इसकी हत्या कर एक नए वंश की स्थापना की।
शुंगकालीन कला -
शुंग काल मे विदिशा का राजनीतिक एवम4 सांस्कृतिक महत्व बढ़ गया था।
शुंग काल मे ही संस्कृत भाषा तथा हिन्दू धर्म का पुनरूत्थान हुआ ।
इसके उत्थान में महर्षि पतंजलि का विशेष योगदान था ।
मनुस्मृति के वर्तमान स्वरूप की रचना इसी युग मे हुई थी।
इस काल में ही भागवत धर्म का उदय विकास हुआ
तथा वासुदेव विष्णु की उपासना प्रारंभ हुई
मौर्य काल में स्तूप कच्ची हित और मिट्टी की सहायता से बनते थे
परंतु शुंग काल में इनके निर्माण में पाषाण का प्रयोग किया गया
शुंग राजाओं का कल वैदिक अथवा ब्राह्मण धर्म का पूर्ण जागरण कल माना जाता है
पुष्यमित्र शुंग ने ब्राह्मण धर्म का पूर्ण उत्थान किया
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