मध्य प्रदेश की मिट्टियां | Soil of Madhya Pradesh
हेलो दोस्तों आज फिर स्पेशल एजुकेशन पीडिया पर आपके लिए महत्वपूर्ण पोस्ट को लेकर आ रहे हैं इसमें हम जानेंगे मध्य प्रदेश की मिट्टियों के बारे में इससे संबंधित आपको जानकारी मिलेगी मैं मध्यप्रदेश की मिट्टीया एक महत्वपूर्ण विषय है
इस पर हमेशा परीक्षा में प्रश्न पूछे जाते हैं प्रतियोगिता परीक्षा के हिसाब से मध्यपदेश मिट्टियों से संबंधित प्रश्न
हमेशा आते रहते हैं,
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मध्य प्रदेश की मिट्टी को मुख्ता पांच भागों में विभाजित किया जाता है -
मिश्रित मिट्टी
जलोढ़ मिट्टी
कछारी मिट्टी
लाल पीली मिट्टी
काली मिट्टी
जलोढ़ मिट्टी -
मध्य प्रदेश में जलोढ़ मिट्टी का निर्माण बुंदेलखंड चंबल जैसी नदियों नदियों द्वारा अवशिष्ट पदार्थों से होता है इसे दोमट मिट्टी भी कहा जाता है जरूर मिट्टी मुख्य रूप से नदियों के द्वारा बेहतर लाई गई मिट्टी होती है या मिट्टी मध्य प्रदेश के मध्य भारत के पत्थर में पाई जाती है जिसमें मुख्य रूप से भिंड मुरैना शॉप और ग्वालियर शिवपुरी जिले सम्मिलित हैं इस मिट्टी का विस्तार भारत के लगभग 40% भाग पर पाया जाता है विश्व सर्वाधिक उपजाऊ मिशन में काली मिट्टी यह जलोढ़ मिट्टी को कहा जाता है इस मिट्टी की जलधारण शक्ति जरूर की अपेक्षा अधिक होती है जहां जलोढ़ मिट्टी पाई जाती वहां यूरिया खाद डालकर अच्छी फसल ली जाती है वैसे गेहूं की फसल के लिए जरूर मिट्टी सबसे उपयोगी मानी जाती है इसके अलावा इस मिट्टी में धान आलू की खेती की जाती है जरूर मिट्टी का निर्माण भालू मिट्टी एवं चिकनी मिट्टी के मिलने से हुआ है जरूर मिट्टी का हल्का धूसर होता है इस मिट्टी में नाइट्रोजन जैव तत्व तथा फास्फोरस की कमी होती है
मध्य प्रदेश में पाई जाने वाली जरूर मिट्टी को कपासी मिट्टी कहते हैं मध्य में जलोढ़ मिट्टी उत्तर पश्चिम में जिलों में जैसे भिंड मुरैना शिवपुरी ग्वालियर में सर्वाधिक पाई जाती है,
जलोढ़ मिट्टी की विशेषताये इस प्रकार है -
चलो मिट्टी मध्य प्रदेश में सर्वाधिक उपजाऊ मिट्टी है जलोढ़ मिट्टी 33% प्रसिद्ध भाग में पाई जाती है इस मिट्टी की प्रकृति उदासीन है।
मध्य प्रदेश में जलोढ़ मिट्टी मुख्यरूप से तीन प्रकार की पाई जाती है।
बांगर मिट्टी
पुरानी जलोढ़ मिट्टी
भावर जलोढ़ मिट्टी
मिश्रित मिट्टी -
यह मिट्टी बुंदेलखंड क्षेत्र में पाई जाती है इसमें लाल पीली काली मिट्टी का मिश्रण पाया जाता है मिश्री मिट्टी मुख्ता मोटे अनाज उगाए जाते हैं इस मिट्टी में नाइट्रोजन फास्फोरस एवं कार्बनिक पदार्थ की लापता होती है
मिश्रित मिट्टी की वि विशेषताये -
मिश्रित मिट्टी में मोटे अनाज का उत्पादन किया जाता है,
मिश्रित मिट्टी में नायट्रोजन फास्फोरस और कार्बनिक पदार्थ की कमी पाई जाती है मिश्री मिट्टी को डोरसा मिट्टी के नाम से भी जाना जाता है मिश्रित मिट्टी बुंदेलखंड क्षेत्र में पाई जाती है
कछारी मिट्टी -
गेहूं कपास गन्ना आदि फसलों के लिए एक प्रमुख मिट्टी होती है कछारी मिट्टी या भिंड मुरैना ग्वालियर शिवपुरी कुछ भागों में पाई जाती है यह नदियों द्वारा बहाकर लाई गई मिट्टी है जो बाढ़ के समय अपने अफवाह क्षेत्र में बढ़ा दी जाती है
कछारी मिट्टी की विशेषताये -
कछारी मिट्टी बाढ़ के दौरान नदियों द्वारा क्षेत्र में बिछाई गई या बाहर लाई गई मिट्टी कछारी मिट्टी कहलाती है कछारी मिट्टी गेहूं का पास करने की फसलों के उत्पादन के लिए बहुत ही उपयोगी होती है या मिट्टी मध्य प्रदेश के भिंड मुरैना ग्वालियर शिवपुरी के कोई भाग में पाई जाती है कछारी मिट्टी नदियों में बाढ़ में बहकर आती है जो उपजाऊ क्षेत्र में बिछ जाती है,
लाल पीली मिट्टी-
लाल पीली मिट्टी में लाल रंग लोहे की ऑक्साइड एवं पीले रंग फेरिक ऑक्साइड के जल संयोजन के कारण होता है या मृदा अम्लीय में अम्लीय से जारी होती है इसका पीएच मान 5.5 से 8.5 के बीच होता है इस मिट्टी में चुने की अधिकता पाई जाती है लाल पीली मृदा में धान की कृषि की जाती है लाल और पीली मिट्टी मध्य प्रदेश में 33% भाग में पाई जाती है।
लाल और पीली मिट्टी की विशेषताये इस प्रकार है।
लाल और पीली मिट्टी में नाइट्रोजन कमी होती है
लाल पीली मिट्टी में नाइट्रोजन एवं ह्यूमस की कमी पाई जाती है
लाल और पीली मिट्टी में फेरिक ऑक्साइड के जल योजन के कारण इस मिट्टी का रंग पीला होता है और लोहे के ऑक्सीकरण के कारण इस मिट्टी का रंग लाल होता है
इस मिट्टी में चुने की मात्रा अधिक पाई जाती है लाल पीली मिट्टी धान की फसलों के लिए बहुत उपजाऊ होती है
लाल और पीली मिट्टी का लाल रंग ऊपरी परत पर होता है और पीला रंग निचली परत पर होता है लाल और पीली मिट्टी में लोहा एल्यूमिनियम और चुनाव अधिक मात्रा में पाया जाता है
मध्य प्रदेश का संपूर्ण पूर्वी भाग का क्षेत्र जो बघेलखंड का क्षेत्र है उसमें लाल मिट्टी सर्वाधिक मात्रा में पाई जाती है
काली मिट्टी-
काली मिट्टी मालवा के पत्थर नर्मदा घाटी तथा सतपुड़ा पर्वत श्रृंखला में पाई जाती है इस मिट्टी में जल धारण का क्षमता सर्वाधिक होती है या दूसरी सर्वाधिक उपजाऊ मिट्टी है क्षमता सर्वाधिक है या दूसरी सर्वाधिक उपजाऊ मिट्टी भी है काली मिट्टी को रेगर मिट्टी भी कहा जाता है मध्य प्रदेश सर्वाधिक भूभाग पर काली मिट्टी पाई जाती है इस मिट्टी के काले रंग का कारण को तत्व की अधिकता है इसका पीएच मान 7.5 से 8.5 होता है यह सारी प्रकृति की होती है कपास के लिए सर्वाधिक उपयुक्त मिट्टी पाई जाती है गेहूं सोयाबीन का उपयोग भी इस मिट्टी में उगने के लिए किया जाता है लोहा पर चुनाव पोटाश अल्युमिनियम की प्रचुरता एवं फास्फेट जैव पदार्थ एवं नाइट्रोजन की कमी होती है
काली मिट्टी की विशेषताये -
या मिट्टी 3.5 परसेंट भाग में पाई जाती है या मध्य प्रदेश में गहरी काली मिट्टी का सर्वाधिक क्षेत्र नर्मदा घाटी क्षेत्र सोन घाटी क्षेत्र सतपुड़ा का क्षेत्र और दक्षिणी मालवा का पठार क्षेत्र आता है
गहरी काली मिट्टी गहराई 1 से 2 मीटर तक होती है काली मिट्टी में गेहूं चने तिलन ज्वार की फसलों के लिए बहुत उपयोगी होती है काली मिट्टी चिकनी मिट्टी की मात्रा 20% 7% तक होती है
मध्यप्रदेश में पाई जाने वाली मिट्टियों का प्रतिशत -
काली मिट्टी 47% भाग पर
लाल और पीली मिट्टी 33% भाग पर
छिछली काली मिट्टी 7% भाग पर
साधारण काली मिट्टी 33% भाग पर
गहरी काली मिट्टी 35 % भाग पर
मिश्रित मिट्टी बहुत कम मात्रा में
कछारी मिट्टी। बहुत कम मात्रा में
जलोढ़ मिट्टी। 3% भाग पर
मध्य प्रदेश में मिट्टियां किस क्षेत्र में कोनसी मिट्टी पाई जाती है
काली मिट्टी -
काली मिट्टी का सर्वाधिक क्षेत्र मालवा का पठार का क्षेत्र
सतपुड़ा का क्षेत्र नर्मदा घाटी क्षेत्र सोन घाटी क्षेत्र
छिछली काली मिट्टी -
छिछली काली मिट्टी मध्य प्रदेश के सतुपडा क्षेत्र में
साधारण गहरी काली मिट्टी -
यह मिट्टी सर्वाधिक मध्य प्रदेश के उत्तरी मालवा के पठार , निमाड़ क्षेत्र, नर्मदा घाटी क्षेत्र, में पाई जाती है,
जलोढ़ मिट्टी -
जलोढ़ मिट्टी उत्तर पश्चिमी क्षेत्रो में सर्वाधिक मात्रा
में मिलती है,
कछारी मिट्टी -
मध्य प्रदेश में कछारी मिट्टी मुरैना ग्वालियर भिंड जिलो में पाई जाती है।
मिश्रित मिट्टी -
यह मिट्टी बुंदेलखंड क्षेत्र में मिलती है
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