परमार वंश का इतिहास
हेलो दोस्तों आपके समे फिर एक नयी पोस्ट लेकर आ रहे है , इस पोस्ट में हम परमार वंश के बारे में जानेंगे ,
परमार वंश से सम्बंधित सभी जानकारी आपको इस लेख में लेकर आये है. जिससे हमें एक प्वंश के बारे में जानने को मिलेगा,
परमार वंश -
परमार राजवंश ने 9 वी शताब्दी से 14 वी शताब्दी के बीच पश्चिम मध्य भारत में मालवा और आस पास के क्षेत्र पर अधिकार क्र लिया था , उज्जैन आबू पर्वत और सिंधु के आसपास के क्षेत्र पर शासन किया |
10 वी शताब्दी के परमार शासक का के सबसे पुराने परमार शिलालेख गुजरात में पाए गए हैं सियाग ने लगभग 972 में राष्ट्रीय कर्टन की राजधानी मान्य खेत पर अधिकार कर लिया और परमाणु को एक स्वयं प्रभु शक्ति के रूप में स्थापित किया परमार वंश को जानने में हमें अभिलेख साहित्य ग्रंथ विदेशी यात्रियों के विवरण आदि सहायता मिलती है इन अभिलेखों से हमें परमार वंश के बारे में पूर्ण जानकारी प्राप्त होती है,
परमार वंशिका मध्यकालीन भारत में एक क्षत्रिय राज्य था एक क्षत्रिय राजवंश था इस राजवंश का अधिकार मध्य प्रदेश के धार मालवा उज्जैन आबू पर्वत और सिंधी के निकट अमरकोट आदि राज्य तक इनका विस्तार था हम कह सकते हैं की संपूर्ण पश्चिम क्षेत्र में परमार वंशिका राज्य था
शाशन काल-
परमार वंश में अनेक महान राजा हुए जिन्होंने मध्य प्रदेश के मालवा क्षेत्र में राज किया इतिहास में देखा तो हम मालवा का परमार वंश परमार शासक का कल लगभग आठवीं शताब्दी से चौधरी शताब्दी तक उनका शासन किया ।
महत्वपूर्ण जानकारी-
राजपूतो के चार कुलो में से एक परमार कुल है
परमार राजपूत कबिले का हिस्सा थे ,
10 वी शताब्दी में परमार वंश के सबसे पुराने प्रमाण अभिलेख गुजरात में पाए गए है ,
972 ई में राजपूतों की राजधानी मन खेत पर अधिकार कर लिया और इस प्रकार से परमार वंश की शक्ति स्थापित हुई,
इसके बाद सियाग के उत्तराधिकारी मूंछ के समय तक वर्तमान मध्य प्रदेश का मालवा क्षेत्र मुख्य परमाणु क्षेत्र बन गए
इसकी राजधानी मुख्य धार थी
मुंजा के भतीजे भौज के अधीन रहते हुए
अपने शिखर पर पहुच गया जिसका क्षेत्र पूर्व में विदिशा से लेकर पश्चिम में साबरमती नदी तक उत्तर चितोरगढ़ से लेकर दक्षिण में उत्तर तक फैला हुआ था ,
मालवा का परमार वंश इतिहास प्रमुख शासन वास्तुकला-
परमार वंश ने नवीन से चौधरी शताब्दी के बीच पश्चिम मध्य भारत में मालवा उज्जैन आबू पर्वत और सिंधु के आसपास के क्षेत्र पर शासन किया ,
दसवीं शताब्दी के परमार शासक का के सबसे पुराने परमार शिलालेख गुजरात में पाए गए हैं सियाग ने लगभग 972 में राष्ट्रीय कर्टन की राजधानी मान्य खेत पर अधिकार कर लिया और परमाणु को एक स्वयं प्रभु शक्ति के रूप में स्थापित किया परमार परमार वंशु को जानने में हमें अभिलेख साहित्य ग्रंथ विदेशी यात्रियों के विवरण आदि सहायता मिलती है इन अभिलेखों से हमें परमार वंश के बारे में पूर्ण जानकारी प्राप्त होती है
परमार वंश का मध्यकालीन भारत में एक क्षत्रिय राज्य था एक क्षत्रिय राजवंश था इस राजवंश का अधिकार मध्य प्रदेश के धार मालवा उज्जैन आबू पर्वत और सिंधी के निकट अमरकोट आदि राज्य तक इनका विस्तार था हम कह सकते हैं की संपूर्ण पश्चिम क्षेत्र में परमार वंशिका राज्य था,
शाशन काल-
परमार वंश में अनेक महान राजा हुए जिन्होंने मध्य प्रदेश के मालवा क्षेत्र में राज किया इतिहास में देखा तो हम मालवा का परमार वंश परमार शासक का कल लगभग आठवीं शताब्दी से चौधरी शताब्दी तक उनका शासन किया ।
परमार वंश से सम्बंधित महत्वपूर्ण जानकारी-
10 वी शताब्दी के प्रमाण शासन से के सबसे पुराने प्रमाण अभिलेख गुजरात में पाए गए,
972 में राजपूतों की राजधानी मन खेत पर अधिकार कर लिया और
इस प्रकार से परमाणु की शक्ति स्थापित हुई
इसके बाद सियाग के उत्तराधिकारी मूंछ के समय तक वर्तमान मध्य प्रदेश का मालवा क्षेत्र मुख्य परमाणु क्षेत्र बन गए
इसकी राजधानी मुख्य धार थी
मंजू के भतीजे भोज के शासनकाल में इस राजवंश का बहुत विकास हुआ
और कल का शासन उत्तर में चित्तौड़ से लेकर दक्षिण में गोकर्ण तट और पश्चिम में साबरमती नदी से लेकर पूर्व में उड़ीसा तक फैल गया था
और उसके साथ अंतिम प्रमाण नरेश मा महालक्ष्मी देव दिल्ली के सुल्तान अलाउद्दीन खिलजी द्वारा 1305 में पराजित हुआ और मारा गया
कुछ इतिहासकारों का यह कहना है कि महक देव की मृत्यु के बाद भी कुछ वर्षों तक पर मारो का शासन चलता रहा
परमार वंश की दो शाखों ने जालौर और भीनमाल में दसवीं शताब्दी का अंतिम चरण में 12 सी शताब्दी के अंतिम चरण तक पर राज किया
परमार वंश-
परमार या पवार मध्यकालीन भारत का एक छतरी राजवान था इस राजवंश का अधिकार मध्य प्रदेश के धार मालवा उज्जैन आबू पर्वत और सिंह के निकट अमरकोट आदि राज्य तक इनका विस्तार था हम कह सकते हैं की संपूर्ण पश्चिम क्षेत्र में परमार वंश का राज्य था,
परमार वंश का शासन काल-
परमार वंश में अनेक महान राजा हुए हैं जिन्होंने मध्य प्रदेश के मालवा क्षेत्र में राज्य किया अगर एग्जाम देखा जाए हम हवा या परमार शासक आठवीं शताब्दी शताब्दी तक उनका शासन रहा है परमाणु राजवंश का नाम है जो मध्य युग के प्रारंभिक काल में महत्वपूर्ण शासन था
परमार वंश का संस्थापक-
परमार वन शासक सामंत राष्ट्रकूट या प्रतिहरों के समान थे परमार वंश का संस्थापक उपेंद्र या कृष्णा राज था आठवीं शताब्दी के प्रारंभ में राष्ट्रीय क्रोध था प्रतिहार ओके सामंत उपेंद्र ने मालवा में परमार अर्जुन की स्थापना की थी,
परमार वंश के राजाओं का शाशन काल-
उपेंद्र कृष्णराज 800 - 818 तक
वैरीसिंह प्रथम 818 - 843 तक
सियक प्रथम 843 - 893 तक
वाक्यपतिराज प्रथम 893 से 918 तक
वैरीसिंह द्वितीय 918 से 948 तक
सियक द्वितीय 948 से 974 तक
वाक्यपति मुंज 974 से 995 तक
सिंधु राज 995 से 1010 तक
राजा भोज प्रथम 1010 से 1055
जयसिंह प्रथम 1055 से 1060 तक
उदयादित्य 1060 से 1087 तक
लक्षमणदेव 1087 से 1097 तक
नरवर्मन 1097 से 1134 तक
यशोवर्मन 1134 से 1142 तक
जयवर्मन प्रथम 1142 से 1160 तक
विंध्यवर्मन 1160 से 1193 तक
सुभात वर्मन 1193 से 1210 तक
अर्जुन वर्मन 1210 से 1218
जयवर्मन द्वितीय 1256 से 1269
जयसिंह द्वितीय 1269 से 1274
अर्जुन वर्मन द्वितीय 1274 से 1283
भोज द्वितीय 1283 से 1295
महलक देव 1295 से 1305
संजीव सिंह परमार 1305 से 1327 यह परमार वंश का आखरी शाशक था जिसे राज किया ।।
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