छंद

 छंद 


छंद काव्य रचना का मूल आधार है छंद के ढांचे में ही कविता पूर्णता को प्राप्त करती है छंद के अभाव में कविता अपने कवयित्व से ही वंचित हो जाती है हम कह सकते है कि छंद के अभाव में कविता कविता ना रहकर गध बनकर रह जाती है अतः कविता को समझने और उसका भरपूर आनंद लेने के लिए छंद का ज्ञान अवश्य हो जाता है

छोटी बड़ी ध्वनियों का टोल माप में बराबर करने के विशेष नियम है इन नियमो में बंधी ध्वनियां ही

लय उत्पन्न कर सकती है और इसे ही छंद कहतद है


छंद शब्द का  सर्वप्रथम उल्लेख ऋग्वेद में मिलता है इनकी व्युत्पत्ति छंद धातु से मानी जाती है 


छंद के निम्नलिखित अंग है


1- चरण या पाद

2- मात्रा या वर्ण

3- लघु ओर गुरु

4- संख्या क्रम तथा गण

5- यदि

6- गति और 

7- तुक





अन्य महत्वपूर्ण प्रश्न जो हमेशा परीक्षा में पूछे जाते है


1- गुणों की सही संख्या क्या है


उत्तर- 8


2- छः चरण वाला छंद है 

उत्तर - छप्पय


3- छंद शास्त्र में हस्व ओर दीर्घ को क्या कहते है

उत्तर - लघु ओर दीर्घ


4- छंद के प्रवाह को कहते है

उत्तर- गति



5- दोहा ओर चोपाई किस प्रकार के छंद है

अर्द्धसम मात्रिक


6- चौपेया में कितनी मात्राय होती है

उत्तर - 30


7- रोला के प्रत्येक चरण में कितनी मात्राय होती है


उत्तर - 24 


8- वसंततिलका छंद में कितने वर्ण होते है

उत्तर - 14 


9- माता जसोदा हरि को जगावे

उत्तर- इन्द्रवजा


10- बाते बड़ी सरस थे कहते बिहारी

उत्तर - वसंततिलका


11- शोभित मंचन की आवली गजदतमयी छवि उज्जवलु छाई


उत्तर - गीतिका

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