पृथ्वी की बाहरी संरचना पृथ्वी देखने में केसी दिखती है



पृथ्वी की बाहरी संरचना पृथ्वी देखने में केसी दिखती है 



हमारे आसपास हरे-भरे मैदान पहाड़ नदियां जिले के खेत रंग-बिरंगे बाग बगीचे रेगिस्तान में बड़े-बड़े महासागर हैं यह सब मिलकर पृथ्वी को अनूठा एवं खूबसूरत  स्वरूप देते हैं ।





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हमारी पृथ्वी और सौरमंडल की विविधताओं से भरा हुआ एक अनूठा ग्रह आकार में एक नारंगी की तरह है जो ध्रुव पर कुछ चपाती है कई करोड़ों वर्ष पूर्व पृथ्वी जलता हुआ आंख खुल थी जलती हुई आज का गोला थी जिसके ऊपर सदा धीरे ठंडा होकर ठंडा होना प्रारंभ और ठंडक से पृथ्वी की ऊपरी सतह सिकुड़ने लगी जिसके परिणाम स्वरुप पृथ्वी के बाहरी स्थल पर अनेक परिवर्तन हुए हैं जिसमें कहीं पत्थर कहीं समतल मैदान तो कहीं घाटी पर्वत बन गए और कालांतर में यह गड्ढे वर्षा और भूमिगत जल से झील नदी समुद्र और महासागरों में परिवर्तित हो गए इस तरह पृथ्वी का स्वरूप निर्धारित हुआ,




पृथ्वी एक जगह स्थिर नहीं है या लगातार घूमती रहती है पृथ्वी सूर्य के चारों एक निश्चित गति में घूमती रहती है या अंडाकार होता है पृथ्वी की कक्षा है इस कक्षा के अंतर्गत अपने दीघा वृताकार मार्ग से गति करते पृथ्वी एक काल्पनिक अंग से के सापेक्ष  घूमती है।




इस घूमने के कारण पृथ्वी के विभिन्न भाग सूर्य के सामने आ जाते हैं इसी कारण पृथ्वी पर एक दिन और एक रात होते हैं,




पृथ्वी को सूर्य की परिक्रमा करने में 365 दिन 6 घंटे का समय लगता है




भारत के प्रसिद्ध खगोल शास्त्रीय आर्यभट्ट ने लगभग 1500 वर्ष पूर्व पांचवी सताब्दी में यह बात दिया था कि पृथ्वी अपने अक्ष पर घूमती है।

जिसके कारण दिन - रात होते है,




पृथ्वी अपने अक्ष पर 23-1/2 पर झुकी हुई है इसके झुके रहने के कारण सूर्य की परिक्रमा करते - करते पृथ्वी ताल पर सूर्य के ताप का प्रभाव एक सा नही रहता है। पृथ्वी के जिस भाग पर सूर्य की किरणें तिरछी पड़ती है,

अथवा कम पड़ती है वहा तापमान अत्यंत कम होकर शून्य या शून्य से निचे चला जाता है।

ऐसे भाग बर्फ से ढके रहते है, और ठंडे रहते है




पृथ्वी के जिस भाग में सूर्य की किरणें सीधी पड़ती है वे भाग अत्यंत गर्म रहते है। जैसे दक्षिण अफ्रीका आदि,

पृथ्वी कि अपने अक्ष पर घूर्णन सूर्य से दूरी ओर झुकाव के कारण ही मौसम में बदलाव और ऋतु में परिवर्तन होता है।




 हमारी पृथ्वी चारो ओर से वायु के अनावरण से ढकी है इसे हम वायुमंडल कहते है। इस वायुमंडल का क्षेत्र पृथ्वी से एक निश्चित उचाई तक पाया जाता है। वायुमंडल में मुख्यता ऑक्सीजन कार्बनडाई ऑक्ससीड नाइट्रोजन कार्बन डाइऑक्साइड एवं अनेक में निष्क्रिय गैस और जलवाष्प होते हैं 




ऑक्सीजन ऑक्सीजन तथा नाइट्रोजन दोनों गैस मिलकर वायु का लगभग 99% भाग बनती है शेष भाग एक प्रतिशत से में कार्बन डाइऑक्साइड जलवाष्प अंग सल्फर डाइऑक्साइड तथा अन्य कैसे होती है पृथ्वी का अधिकांश भाग जल से ढका हुआ है 




हम इसे हम सागर महासागर अथवा समुद्र के रूप में जानते हैं समुद्र के अंदर विभिन्न प्रकार के जीव जंतु तथा पौधे रहते हैं पृथ्वी का भाग जहां जल नहीं है भू-भाग कहलाता है इस पर पेड़ पौधे जीव जंतुओं के साथ-साथ मनुष्य रहते हैं




 वर्तमान में पृथ्वी एकमात्र ग्रह जहां जीवन संपन्न है प्राणियों के जीवन के लिए पृथ्वी पर प्राकृतिक संसाधनों के रूप में जलवायु सूर्य का प्रकाश मिट्टी खनिज पदार्थ एवं अनुसूचियां पर्याप्त मात्रा उपलब्ध है इसके कारण ही प्राणियों या जीवित है उसका जीवन संभव है




पृथ्वी के अंदर से उसकी संरचना केसी है वो दिखती कैसे है अंदर से - 




पृथ्वी की भारी सदा के बारे में हम जानते हैं कि इसमें घटिया - घटिया पर्वत मरुस्थल समतल मैदान कहीं ऊंचा नीचा उबड खा लिया सारी चीज स्थित है प्रतीक आंतरिक भाग एक सेवफल के समान दिखता है,





भूपर्पटी -



पृथ्वी की सबसे बाहरी परत दो परतों के अपेक्षा बहुत पतली होती है इसकी मोटाई लेवल 360 किलोमीटर तक है महासागरों के नीचे या पतली होती है  जाती है पृथ्वी के महत्त्वपूर्ण पद्धति खनिज विभिन्न रूप में  इसकी सतह पर प्राप्त होते हैं पेट्रोलियम कोयला का पठार धातु है गैस लोहा तांबा सोना बहुमूल्य रत्न खनन के दौरान प्राप्त होते हैं,





प्रावार - 



प्रावार पृथ्वी की मध्य परत होती है, जो भू - पर्पटी से लगभग 2900  किलोमीटर की गहराई तक पाई जाती है, ऐसा माना जाता है कि इस भाग में मुख्य रूप से पिघली हुई ठोस चट्टानों का अंश है, जिसे मेग्मा कहते है, इसमें मुख्य रूप से लोहा तथा मैग्नेशियम सिलिकेट पाया जाता है, 






कोड -



पृथ्वी का सबसे भीतरी एवं अंतिम भाग है पृथ्वी की सबसे ज्यादा ऊष्मा इसी भाग में रहती है, धातुओं में सबसे ज्यादा पिघला हुआ लोहा इसी भाग में रहता है,






गुरुत्वाकर्षण - 




कोई वस्तु जो ऊपर की तरफ फेंकते हैं तो पृथ्वी की ओर वापस लौटकर क्यों आती है  महान वैज्ञानिक सर " आइजेक न्यूटन " ने बताया कि एक दिन जब वह अपने बगीचे में से के पेड़ नीचे बैठे थे अचानक एक फल वृक्ष से टूटकर सामने आ गिरा इस घटना ने उन्हें एक नया विचार दिया और उन्होंने महत्वपूर्ण सिद्धांत की खोज की है जिसे न्यूटन के गुरुत्वाकर्षण के सिद्धांत के नाम से जाना जाता है प्रत्येक वस्तु को पृथ्वी अपनी और एक विशेष बल से खींचती है जिसे गुरुत्वाकर्षण बल कहते हैं इसके अभाव में ना हम चल सकते हैं ना कोई कार्य कर सकते हैं अतः पृथ्वी पर समस्त गतिविधियां पृथ्वी के बल गुरुत्वाकर्षण बल के कारण संभव होती है पृथ्वी का द्रव्यमान ही उसे गुरुत्वाकर्षण बल का निर्धारण करता है,




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