राष्ट्रभाषा


राष्ट्रभाषा





भारतीय संविधान में।

भारत की कोई राष्ट्र भाषा नही है।

आम जन की भाषा जिसे हम जन भाषा कहते है

जो समस्त राष्ट्र में बोली जाती है।

राष्ट्र भाषा का उपयोग सम्पूर्ण राष्ट्र अपनी बोलचाल में उपयोग करता है

उसे राष्ट्र भाषा कहते है।

राष्ट्रीय स्तर पर स्वीकार एवं विभिन्न राज्यों के द्वारा अपनाई जाने वाली समृद्ध भाषा राष्ट्रभाषा कहलाती है।

राष्ट्र भाषा अधिक क्षेत्र में बोली जाने वाली भाषा है.

राष्ट्र भाषा का क्षेत्र विस्तृत होता है।  जो सभी लोगो द्वारा बोली जाती है

राष्ट्र भाषा एक ऐसी भाषा होती है जिसको संपर्क भाषा बोलते है

राष्ट्रीय भाषा सामाजिक सांस्कृतिक स्तर पर देश को  जोड़ने का काम करती है





 भारत की राष्ट्रीय भाषा हिंदी है हमारा राष्ट्रीय संस्कृत साहित्य एवं ऐतिहासिक तत्वों का समावेश होता है या राष्ट्र के संपर्क भाषा के रूप में स्वीकार की जाती है।




विशेषताएं : -



राष्ट्रभाषा संपूर्ण राष्ट्र के संपर्क भाषा होती है

तथा इसका प्रभाव संपूर्ण राष्ट्र के व्यापक होता है

इसका साहित्य समृद्ध एवं व्यापक होता है

यह बहुसंख्यक लोगों द्वारा बोली जाती है 

राष्ट्रीय भाषा राष्ट्रीय एकता और अंतरास्ट्रीय संबाद में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।

वैसे सभी भाषाय राष्ट्रीय भाषाय होती है

जनता के हितों का धयन रखते हुए इसका उपयोग किया जाता है ।

ओर भारत ने प्रमुख रूप से हिंदी भाषा को अपनाया था ।

भाषा के माध्यम से लोग एक दूसरे से जुड़ते है।




स्वतंत्रा संग्राम के दौरान राष्ट्रीय भाषा की आवश्यकता थी

राष्ट्रभाषा कोई संवेधानिक शब्द नही है।

राष्ट्र भाषा से व्यक्ति जुड़ता है

इसके द्वारा सामाजिक संस्कृति से लेकर ऐतिहासिक संस्कृति से ।




राष्ट्रीय स्तर पर स्वीकार एवं विभिन्न राज्यो ले द्वारा अपनाई जाने वाली समृद्ध भाषा राष्ट्रभाषा कहलाती है



हमारी राष्ट्रभाषा हिन्दी को माना गया है।

परंतु संबिधान में हिंदी को राष्ट्र भाषा का दर्जा नही दिया गया ।

क्योंकि हमारे देश मे विभिनन भाषाओ के लोग रहते है

इसी के कारण हमारी भाषा को राष्ट्रीय दर्ज नही मिला अभी तक।





मातृभाषा किसे कहते हैं एवं मातृभाषा का ज्ञान होना क्यों आवश्यक है



मातृभाषा बच्चों को कोई भाषा अपने माता-पिता और परिजनों के स्वभाव भी रूप से सीखने को मिलती है वह भाषा मातृभाषा होती है

यह एक प्रकार से पारिवारिक कामकाज की भाषा होती है

तथा परिवार के लोगों की भी संप्रेषण मध्य होती है

अतः भाषा ज्ञान प्राप्त करना आवश्यक है मातृभाषा 



भाषा: - 



संविधान की आठवीं अनुसूची में निम्ननलिखित 22 भाषायें शामिल की गई।


  • डोंगरी ,
  • मैथली ,
  • संथाली ,
  • बोडो ,
  • उर्दू ,
  • तेलगु ,
  • तमिल ,
  • सिंधी ,
  • संस्कृत ,
  • पंजाबी ,
  • ओडिसा ,
  • नेपाली ,
  • मराठी ,
  • मणिपुरी
  • मलयालम
  • कोकर्णी ,
  • कश्मीरी ,
  • कन्नड़,
  • हिंदी ,
  • गुजराती ,
  • बंगला ,
  • असमिया ,



इन 22 भाषाओ में से 14 भाषाओं को प्रारम्भ में ही शामिल कर लिया गया था।

वर्ष 1976 में सिंधी भाषा को 21 वे संविधान संशोधन अधिनियम द्वारा आठवी में शामिल किया गया था।

वर्ष 1992 में 71 वे संविधान संशोधन द्वारा कोकर्णी मणिपुरी ओर नेपाली को शामिल किया गया ।

वर्ष 2003 में  92 वे  संविधान संशोधन अधिनियम जो कि वर्ष 2004 में प्रभावी हुआ 

आठवी अनुशुचि में बोडो डोंगरी मैथली ओर संथाली को आठवी अनुसूची में शामिल किया गया।




भाषा का क्षेत्र वितरण होता है भाषा बोली का विकसित रूप है

भाषा में साहित्य होता है

हर क्षेत्र की एक भाषा होती है




बोली : - 



एक छोटे क्षेत्र में बोले जाने वाली भाषा बोली कहलाती है 

भारत के विभिन्न क्षेत्रों में 650 के लगभग बोलिया बोली जाती है

बोली का क्षेत्र सीमित होता है बोली भाषा के लघुतम इकाई है

बोली में साहित्य नहीं होता है

बोली एक निश्चित क्षेत्र में बोली जाती है।

बोली का क्षेत्र व्यापक नही होता ।

यह सीमित क्षेत्र में बोली जाती है।।     





उपभाषा : -



जब किसी बोली में साहित्य रचना होने लगती है.ओर क्षेत्र का विस्तार हो जाता है.उसे उपभाषा कहते है




उपभाषा के उदहारण: - 



राजस्थानी विहारी पहाड़ी आदि

विभिन्न बोलिया राजनीतिक आधार पर अपना क्षेत्र बड़ा सकती है और साहित्य रचना के आधार पर भी अपना स्थान बोली से उच्च करते हुये उपभाषा बन जाती है






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